July 24, 2011

बस इस पल में

काजल से लिखे है मेरे ख़्वाबों ने कुछ ख़त उनके नाम ...
इन्हें डाकिये के हाथ भेजा तो खवाब रूठ जायेंगे

दुपट्टे में बाँध लिए है वक़्त के कुछ भीगे पल ...
इन्हें हाथों से छुआ तो ये सूख जायेंगे

चाँद को माथे से हटा के ज़रा आँखों में छुपा लूँ ...
रात के चोरों ने देखा तो चांदनी इसकी लूट जायेंगे

एक बारिश छुपा के तकिये में रख ली है ...
तेरे आने से पहले तेरे इंतज़ार में भीग जायेंगे

इस पल में मुस्कुरा के मरना ही मेरी ख्वाइश है शायद ...
इस मरने में ही कुछ पल जीना सीख जायेंगे

3 comments:

रश्मि प्रभा... said...

एक बारिश छुपा के तकिये में रख ली है ...
तेरे आने से पहले तेरे इंतज़ार में भीग जायेंगे ... kuch bunden takiye me rah jayengi

रश्मि प्रभा... said...

contaci me at rasprabha@gmail.com

संजय भास्‍कर said...

अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार